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Request this book“बसन्त चौधरी संबंधों के कवि हैं, गार्हस्थ बोध के कवि हैं। अपने देस, अपनी जमीन के कवि हैं। नेपाल के लिए उनके मन में अटूट प्रेम है। तभी तो वे स्वच्छ नेपाल की परिकल्पना करते हैं। अपने देश की बेहतरी की कल्पना करते हैं। यह कवि की राष्ट्रीयता है जो उन्हें घर, पत्नी व मां-पिता व प्रिय से घनिष्ठतासेजोड़े रहती है। वह फागुन की राह अगोरता है, सावन की कल्पना में भीगता है, बसंत और फागुन की जुगलबंदी उससे बतियाती है, कहना न होगा कि बसन्त चौधरी के नाम में ही ऐसा बसंती उल्लास है कि वह उनकी कविताओं में महुए-सा टपकता और महकाता है।"
-डॉ. ओम निश्चल (कवि-गीतकार, आलोचक एवं भाषाविद्)
"उनकी काव्य रचनाओं में 'हृदय की धड़कन' को महसूस किया जा सकता है। वे जब गजल कहते हैं, तो लगता है जैसे उनका 'दिल' ही गजल में उतर आता है। मैं तो उन्हें मानवीय-संवेदनाओं का सच्चा पारखी कवि मानता हूं।"
-डॉ. योगेन्द्र नाथ शर्मा 'अरुण'
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