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वयं रक्षाम: प्रागैतिहासिक अतीत की कृति है। इसके कथानक के मूलाधार राक्षसराज रावण तथा महापुरुष राम हैं।
“इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्य-दानव, आर्य, अनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्मृत- पुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देखकर सारे संसार ने अन्तरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर-रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गयी बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।...उपन्यास में मेरे अपने जीवन-भर के अध्ययन का सार है..."
- चतुरसेन
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