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Request this bookपटकथा लिखते समय आपको अपने मन की आँखों से सारी घटना अनिश्चित वर्तमान काल में घटती हुई देखनी होगी और उसी रूप में उसे काग़ज़ पर उतारते जाना होगा।
...गोया पटकथा और कुछ नहीं वह कथा है जो पर्दे पर दिखाए जाने के लिए लिखी गई है। तो हो जाइए शुरू। मगर रुकिए। पटकथा से पहले आती है कथा।
-इसी पुस्तक से
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