ग्लोबल मंदी के दिनों की यह लोकल दास्तान है। ग्लेमर के शहर मुंबई की अँधेरी गलियों की कहानी। जहाँ मानव तस्करी और वैश्यावृति के धंधे में लिप्त एक दलाल को पुलिस की हथकड़ियाँ लगी देख मंडी में बिक्री के लिए रखी हुई मछलियाँ हँस पड़ती हैं ...!!इधर लोग मछलियों की हँसी से हैरान हैं, उधर एक बिल्ली की जुबानी परत-दर-परत किस्सा सामने आता है। जिसमे दलाल के साथ उसकी बीवी, उसके रियल एस्टेट एजेंट दोस्त कमाल और वैश्यावृति के लिए लायी गयी एक नेपालन से लेकर इटली से आये टूरिस्ट रेनातो मिलानी की ज़िन्दगी के रहस्य खुलते हैं। क्या थे ये रहस्य? (स्रोत : कुछ हिस्सा उपन्यास के पहले पेज से लिया है।)