About the Book
अयोध्या का मतलब है; जिसे शत्रु जीत न सके। युद्ध का अर्थ हम सभी जानते हैं। योध्य का मतलब; जिससे युद्ध किया जा सके। मनुष्य उसी से युद्ध करता है; जिससे जीतने की संभावना रहती है। यानी अयोध्या के मायने हैं; जिसे जीता न जा सके। पर अयोध्या के इस मायने को बदल ये तीन गुंबद राष्ट्र की स्मृति में दर्ज हैं। ये गुंबद हमारे अवचेतन में शासक बनाम शासित का मनोभाव बनाते हैं। सौ वर्षों से देश की राजनीति इन्हीं गुंबदों के इर्द-गिर्द घूम रही है। आजाद भारत में अयोध्या को लेकर बेइंतहा बहसें हुईं। सालों-साल नैरेटिव चला। पर किसी ने उसे बूझने की कोशिश नहीं की। ये सबकुछ इन्हीं गुंबदों के इर्द-गिर्द घटता रहा। अब भी घट रहा है। अब हालाँकि गुंबद नहीं हैं; पर धुरी जस-की-तस है। इस धुरी की तीव्रता; गहराई और सच को पकड़ने का कोई बौद्धिक अनुष्ठान नहीं हुआ; जिसमें इतिहास के साथ-साथ वर्तमान और भविष्य को जोड़ने का माद्दा हो; ताकि इतिहास के तराजू पर आप सच-झूठ का निष्कर्ष निकाल सकें। उन तथ्यों से दो-दो हाथ करने के प्रामाणिक; ऐतिहासिक और वैधानिक आधार के भागी बनें। #लोकार्पण #प्रभातप्रकाशन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मान. श्री मोहनराव भागवत के करकमलों से वरिष्ठ पत्रकार श्री हेमंत शर्मा की सद्यःप्रकाशित पुस्तकों ‘युद्ध में अयोध्या’ और ‘अयोध्या का चश्मदीद’ का लोकार्पण गुरुवार; 20 सितंबर; 2018 को डाॅ. आंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर; नई दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री मान. श्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता तथा भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद मान. श्री अमित भाई शाह के मुख्य आतिथ्य में संपन्न हुआ।